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मन डोल रहा बार-बार
देख सावन की पड़ती ठंडी फुहार
प्रेम-ज्वाला भड़क उठी
लगी प्यास बुझा दो मेरे सरकार (1 )
कई सावन बीते गए
अम्बुआ पे आयी गयी बहार
सखी भी करे ठिठोली
अब तो आ ही जाओ भरतार (2)
दिन बीते गुजरी रात बेहाल
सेज पड़ी हैं सुनी सूखे फूल हज़ार
काया भी अब साथ न देगी
कब करू सजन मैं तेरा इंतजार (3)
रामकिशोर उपाध्याय
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