Saturday, 24 August 2013

प्रेम -प्रतीक्षा


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मन डोल रहा बार-बार
देख सावन की पड़ती ठंडी फुहार
प्रेम-ज्वाला भड़क उठी
लगी प्यास बुझा दो मेरे सरकार    (1 )

कई सावन बीते गए
अम्बुआ पे आयी गयी बहार
सखी  भी करे ठिठोली
अब तो आ ही जाओ भरतार         (2)

दिन बीते गुजरी रात बेहाल
सेज पड़ी हैं सुनी सूखे फूल हज़ार
काया भी अब साथ न देगी
कब करू सजन मैं  तेरा  इंतजार   (3)  

रामकिशोर उपाध्याय 

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