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वह बस आया एक पल के लिए
दर्द दे गया जिंदगी भर के लिए
हम तो आंखे ही बिछाते रह गए
वो नींद ले गया उम्र भर के लिए
जब भी चाहा जज्बों की पैमाइश
वो राजी न हुए इंच भर के लिए
हम तो जी गए दरिया की तरह
वो सूख गया अश्क भर के लिए
जब निकले आखिरी सफ़र पर
वो मुकर गया मुट्ठी भर के लिए
रामकिशोर उपाध्याय
वह बस आया एक पल के लिए
दर्द दे गया जिंदगी भर के लिए
हम तो आंखे ही बिछाते रह गए
वो नींद ले गया उम्र भर के लिए
जब भी चाहा जज्बों की पैमाइश
वो राजी न हुए इंच भर के लिए
हम तो जी गए दरिया की तरह
वो सूख गया अश्क भर के लिए
जब निकले आखिरी सफ़र पर
वो मुकर गया मुट्ठी भर के लिए
रामकिशोर उपाध्याय
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