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दर्द में बिलकुल न झुके
आस में तनकर खड़े
विश्वास में चुप-चुप दिखे
क्या तुम कभी पिता थे .................
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भार से झुककर चले
धर्य में डटकर खड़े
प्यार में पल- पल बहे
क्या तुम कभी माँ थे ........................
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धूप में सीधे खड़े
साँझ को नीचे झुके
वर्षा में टप-टप झरे
तुम क्या कभी वटवृक्ष थे .......................
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रामकिशोर उपाध्याय