अहसासों की दुनियाँ में
अधिकारों को रहने दो
चुंधिया गई हैं आँखें तो
अंधियारों को रहने दो
मेरी वेदना को छोड़ों पर
सरोकारों को रहने दो
तुम निर्मम सत्ता हो पर
बेढंगे आकारों को रहने दो
*
रामकिशोर उपाध्याय
अधिकारों को रहने दो
चुंधिया गई हैं आँखें तो
अंधियारों को रहने दो
मेरी वेदना को छोड़ों पर
सरोकारों को रहने दो
तुम निर्मम सत्ता हो पर
बेढंगे आकारों को रहने दो
*
रामकिशोर उपाध्याय