Monday, 15 March 2021

वो कौन थी ? ----------

 

न तो उससे पहले मिला था
न शायद फिर कभी मिलूँगा
मगर उसकी देह को स्पर्शकर
आया था सुगंध का इक झोंका .........

वो शायद मत्स्यगंधा थी
मेनका थी या फिर रम्भा थी
वो प्रेम सरोवरों में पम्पा थी
वो कामदेव की प्रिय चंपा थी ............

वो कोयल की कूक थी
वो मन की अनकही भूक थी
किसी बहती नदी का पानी थी
सागर की लहरों की रवानी थी ..........

वों स्वप्न सरीखा परिंदा थी
जो दिन के उजालों में भी जिंदा थी
जिस्म में वो धडकन थी
उम्र में वो यौवन और बचपन थी ....

वो नाम न पहले सुना था
और न कहीं लिखा होगा
न किताबों में किस्सा थी
वो तो कल्पना का हिस्सा थी ....

वो कौन थी ?
न आँधी और न गुम हवा थी
वो मेरे हर दर्द की दवा थी
वो सन्नाटे में चीखता मेरा मौन थी .........
*
रामकिशोर उपाध्याय