छोड़ बैठे हम !
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खुदा को छोड़ बैठे हम
जब नाखुदा ने डरना नहीं कहा
साहिल से लड़ बैठे हम
जब लहरों ने फैलना नहीं कहा
अश्कों से रूठ बैठे हम
जब आँखों ने बहना नहीं कहा
मंजिल से चिढ बैठे हम
जब पवन ने रुकना नहीं कहा
पाबन्दी को तोड़ बैठे हम
जब कल्पना ने सीमा नहीं कहा
Ramkishore Upadhyay
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खुदा को छोड़ बैठे हम
जब नाखुदा ने डरना नहीं कहा
साहिल से लड़ बैठे हम
जब लहरों ने फैलना नहीं कहा
अश्कों से रूठ बैठे हम
जब आँखों ने बहना नहीं कहा
मंजिल से चिढ बैठे हम
जब पवन ने रुकना नहीं कहा
पाबन्दी को तोड़ बैठे हम
जब कल्पना ने सीमा नहीं कहा
Ramkishore Upadhyay
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