Saturday, 3 August 2013

छोड़ बैठे हम !
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खुदा को छोड़ बैठे हम  
जब नाखुदा ने डरना नहीं कहा

साहिल से लड़ बैठे हम
जब लहरों ने फैलना  नहीं कहा

अश्कों से रूठ  बैठे हम
जब आँखों ने बहना नहीं कहा

मंजिल से चिढ बैठे हम
जब पवन ने रुकना नहीं कहा

पाबन्दी को तोड़ बैठे हम
जब कल्पना ने सीमा नहीं कहा

Ramkishore Upadhyay

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