Friday, 24 January 2014




मेरी खता
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आज
घर के बाहर
खड़े थे मेरे ख्वाब 
अचानक फ़लक पे
अब्र घिर आये
और बारिश में भीग गए
मेरे सब के सब ख्वाब
सुखाने के लिए
आंच दी
तो मेरी हकीकते सूख गई
कोई खता ..

रामकिशोर उपाध्याय

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