Tuesday, 22 October 2013

साजन हैं व्याकुल व सजनी अधीर,
सूखी बदरी पर आँखों से बरसे नीर. 

सावन आया व*मेह पड़े जोर-जोर, 
भर चली नदी पर सूखे मन के तीर.

रामकिशोर उपाध्याय

No comments:

Post a Comment