साजन हैं व्याकुल व सजनी अधीर,
सूखी बदरी पर आँखों से बरसे नीर.
सावन आया व*मेह पड़े जोर-जोर,
भर चली नदी पर सूखे मन के तीर.
रामकिशोर उपाध्याय
सूखी बदरी पर आँखों से बरसे नीर.
सावन आया व*मेह पड़े जोर-जोर,
भर चली नदी पर सूखे मन के तीर.
रामकिशोर उपाध्याय
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