आनंद का इन्द्रधनुष
अनंत नभ
जल के बिंदुओं ने
कर दिया प्रकाश के रंगों का सतरंगी विच्छेदन
और बादलों के बीच उभरा अनुपम विशेष
एक छोटा सा इन्द्रधनुष
चक्षु नृत्य कर उठे
होंठ गीतों के मुखड़े उठा लाये
अंग ढोल बन गए
और भाव वीणा के तार की झंकार से
अवसाद गगन में लोप हुआ
रह गया बस
आनंद ही शेष.…।
रामकिशोर उपाध्याय
अनंत नभ
जल के बिंदुओं ने
कर दिया प्रकाश के रंगों का सतरंगी विच्छेदन
और बादलों के बीच उभरा अनुपम विशेष
एक छोटा सा इन्द्रधनुष
चक्षु नृत्य कर उठे
होंठ गीतों के मुखड़े उठा लाये
अंग ढोल बन गए
और भाव वीणा के तार की झंकार से
अवसाद गगन में लोप हुआ
रह गया बस
आनंद ही शेष.…।
रामकिशोर उपाध्याय
Sundar...
ReplyDeleteप्रवीण जाखड जी बहुत बहुत धन्यवाद।
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