खुश्क समंदर
---------------
बेशक तुझे बहुत गुस्सा सताये,
मुस्कान सजा के होठों पर रख.
बेशक सच्चा हो अपना किस्सा,
बेगुनाही आँखों में डालकर रख.
ये दुनिया चले अपनी चाल से,
किसी पांव पे*सर लगाकर रख.
वक़्त घड़ी जब ठीक न हो तेरी,
दोस्त की सुई से मिलाकर रख.
आये जब अश्क अपनी आंख में
छिपाने को काजल लगाकर रख.
रामकिशोर उपाध्याय
24.10.2013
No comments:
Post a Comment