Thursday, 24 October 2013

खुश्क समंदर
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बेशक तुझे बहुत गुस्सा सताये,
मुस्कान सजा के होठों पर रख.

बेशक सच्चा हो अपना किस्सा,
बेगुनाही आँखों में डालकर रख.

ये दुनिया चले अपनी चाल से,
किसी पांव पे*सर लगाकर रख.

वक़्त घड़ी जब ठीक न हो तेरी,
दोस्त की सुई से मिलाकर रख.

आये जब अश्क अपनी आंख में
छिपाने को काजल लगाकर रख.

रामकिशोर उपाध्याय
24.10.2013 

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