युद्ध
कर रहा हूँ
काल की चाल से
हस्त
में खड़ग नहीं
ढाल भी बेहाल हैं
रथ
समर के मध्य
है खड़ा
तीर
कमान पर चढ़े
शत्रु
अपने वचन से बद्ध
तोप
भी भरी हुयी
बारूद के अम्बार
योद्धा
भी उद्धत
संकेत का इंतजार
शस्त्र
का नहीं अवलंबन
शास्त्र
ही एक आधार
ऋचाएं
करती रक्त संचार
मौन के शब्द
करते विजय उद्घोष
मौन के शब्द ही
करते विजय उद्घोष
राम किशोर उपाध्याय
16.7.2013
'ऋचाएं
ReplyDeleteकरती रक्त संचार'
सत्य... सुन्दर!
Anupama Pathak ji , apka bahut abhar .
ReplyDeleteयुध्द जीवन की आवश्यक्ता है और हर कोी लड रहा है अपना अपना युध्द ।
ReplyDeleteAsha ji apne bilkul satya kaha hai.
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