Tuesday, 16 July 2013

युद्ध कर रहा हूँ काल की चाल से


युद्ध
कर रहा हूँ
काल की चाल से

हस्त
में खड़ग नहीं
ढाल भी बेहाल हैं

रथ
समर के मध्य
है खड़ा

तीर
कमान पर चढ़े
शत्रु
अपने वचन से बद्ध

तोप
भी भरी हुयी
बारूद के अम्बार

योद्धा
भी उद्धत
संकेत का इंतजार

शस्त्र
का नहीं अवलंबन
शास्त्र
ही  एक आधार

ऋचाएं
करती रक्त संचार
मौन के शब्द
करते विजय उद्घोष

मौन के शब्द ही 
करते विजय उद्घोष 

राम किशोर उपाध्याय 
16.7.2013


4 comments:

  1. 'ऋचाएं
    करती रक्त संचार'

    सत्य... सुन्दर!

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  2. युध्द जीवन की आवश्यक्ता है और हर कोी लड रहा है अपना अपना युध्द ।

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