हमें याद हैं
इशारा मिला
तो जाने क्या ख्वाब सजने लगे
जुबान खुली
तो जाने क्या सवाल उठने लगे
हम खड़े हैं
उनके गुनाहगार बनकर अपनी अदालत में
वो खड़े हैं
अपने पहरेदार बनकर हमारी अदावत में
हमें याद हैं
अपना दायरा और अपना आशियाना
नहीं याद हैं
तुम ,तुम्हारा नाम,पता और ठिकाना
गर इश्क है
एक गुनाह , तो जरुर हमने किया
शोलों को हवा देना हैं
एक गुनाह, तो जरुर तुमने किया
चलो भूल जाते हैं
ये गुनाह तुमने किया या हमने किया
हमने तो कहा कुछ नही
जो कहा तुमने लो वो भी भुला दिया
(c)रामकिशोर उपाध्याय
इशारा मिला
तो जाने क्या ख्वाब सजने लगे
जुबान खुली
तो जाने क्या सवाल उठने लगे
हम खड़े हैं
उनके गुनाहगार बनकर अपनी अदालत में
वो खड़े हैं
अपने पहरेदार बनकर हमारी अदावत में
हमें याद हैं
अपना दायरा और अपना आशियाना
नहीं याद हैं
तुम ,तुम्हारा नाम,पता और ठिकाना
गर इश्क है
एक गुनाह , तो जरुर हमने किया
शोलों को हवा देना हैं
एक गुनाह, तो जरुर तुमने किया
चलो भूल जाते हैं
ये गुनाह तुमने किया या हमने किया
हमने तो कहा कुछ नही
जो कहा तुमने लो वो भी भुला दिया
(c)रामकिशोर उपाध्याय
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