अपने -अपने स्वार्थ
उद्देश्य मात्र अर्थ
अपने अपने पथ
चढ़ चले पवन-रथ
वक्षस्थल भेदन
सत्य का उद्घोष
असत्य का प्रयोग
आगे बढ़ता छल
क्षद्म सत्ता
अनावृत चरित्र
सिंहारूढ़ दर्पयुक्त
नहीं शक्ति
नहीं भक्ति
व्यक्तिव -----------------------
सिर्फ लुंजपुंज ,,,,,,,
सिर्फ लुंजपुंज ,,,,,,,
राम किशोर उपाध्याय
No comments:
Post a Comment