Thursday, 8 May 2014

कुछ शेष हैं
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रजनी जब
गहन तम से व्याकुल होने लगे
गोधूली से बचाकर रखी 
चंद किरणों से ऊषा को आलोकित कर देता हूँ ....1
पल -पल,
क्षण -क्षण जब उदासी हावी होने लगे
व्यतीत काल-खंड से सहेजकर रखी
सुखद अनुभूतियों से आल्हादित कर लेता हूँ .....2
दिन -प्रतिदिन जब
यह संसार मरघट सा शांत निर्जीव लगने लगे
जिंदगी से निकालकर रखी
जीवन्तता से पुनर्जीवित कर लेता हूँ ................3
मैं .......
और मैं ......
सिर्फ मैं ........
रामकिशोर उपाध्याय

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