Thursday, 8 May 2014



आज होली में .....
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सपने रंग गए
जब फूलों का रंग उड़कर 
आँखों में छाया
तन रंग गया
जब पिचकारी से भीग गयी
माटी की काया
मन रंग गया
जब कानों में पड़ी प्रेम वर्णमाला ने
ह्रदय को धडकाया
उपवन रंग गया
जब बह निकली अलभ्य सुंगध ने
हर पुष्प महकाया
जग रंग गया
जब संकेत से उन्होंने
निकट बुलाया
प्रकृति रंग गयी
जब पुरुष ने निकटता को
समाप्त पाया
और
कण-कण रंग गया
जब प्रत्येक अभिव्यक्ति ने
अपना आपा खोया
आज होली में .......
रामकिशोर उपाध्याय

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