प्रायश्चित
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सोचता हूँ
कि सूरज की सारी धूप इकठ्ठा करके
अपने घर ले आऊं
और उसमे जला डालू
ख़ुद की सारी परछाईंयों को
एक एक करके.....
कि सूरज की सारी धूप इकठ्ठा करके
अपने घर ले आऊं
और उसमे जला डालू
ख़ुद की सारी परछाईंयों को
एक एक करके.....
रामकिशोर उपाध्याय
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