पिता
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पिता ...
सिर्फ बाप बनना ही नहीं होता
हर समय
एक जागरूक प्रहरी बनना पड़ता है
जैसे किसी घोंसले में रखे
अपने अण्डों की रक्षा करता एक मादा पक्षी सा
अपने बच्चों को
परवाज भरने की शिक्षा देने से लेकर
ऊंचाई पर उन्हें खड़े देखकर मुस्काते हुए
और
उनकी भयंकर त्रुटियों के लिए क्षमा करने तक
एक सागर सा सभी नदियों का सुख और दुःख
अपने भीतर समेटता
सिर्फ एक ही होता है
पिता ....................|
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रामकिशोर उपाध्याय
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पिता ...
सिर्फ बाप बनना ही नहीं होता
हर समय
एक जागरूक प्रहरी बनना पड़ता है
जैसे किसी घोंसले में रखे
अपने अण्डों की रक्षा करता एक मादा पक्षी सा
अपने बच्चों को
परवाज भरने की शिक्षा देने से लेकर
ऊंचाई पर उन्हें खड़े देखकर मुस्काते हुए
और
उनकी भयंकर त्रुटियों के लिए क्षमा करने तक
एक सागर सा सभी नदियों का सुख और दुःख
अपने भीतर समेटता
सिर्फ एक ही होता है
पिता ....................|
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रामकिशोर उपाध्याय
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