जब चाँद लुट
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छिटक रही थी
आसमान से चांदनी
हम भी सितारों जड़ी झोली फैलाकर आंगन में
टकटकी लगाकर बैठ गए
कुछ क्षणों के बाद जब उठे तो
सारा बदन पसीने से तरबतर था
झोली खाली रह गयी
हालात बदलते ही सितारे फुर्र से उड़ गए
और लोग वाह-वाह करके
पूरा चाँद ही लूट ले गए
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रामकिशोर उपाध्याय
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