Thursday, 5 June 2014

बोलती है एक तस्वीर 
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जब मैंने कहा 
कि तस्वीर तुम्हारी बहुत बोलती है 
और करती है मुझसे बाते जब मैं उदास और खामोश होता हूँ 

ऐसा क्यों ?

तुम मेरी कल्पना में
मेरे यथार्थ में
तुम अमर हो चुकी हो
और मेरी आत्मा लुप्त हो गयी है
तुम्हारे ही लिफ़ाफ़े में ..
जानते हो यह खोलने में फट जाता
इसलिए तुम्हारे अस्तित्व को कष्ट नही दूंगा खोलकर लिफ़ाफ़ा

समझी नहीं ?

मत समझना ,,समझकर प्रेम नही होता ....|
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रामकिशोर उपाध्याय

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