आँखों में ये सागर गहरा ना होता,
तो आंसू भी कभी खारा ना होता.
बहुत ख्याब देखे तेरे कांधे पे सर रखके
सजायी डगर तारे आसमान से तोड़के
तेरी बेवफाई से डूब ही जाती कश्ती
गर एक तिनके का सहारा ना होता (१)
आँखों में ये सागर गहरा ना होता,
तो आंसू भी कभी खारा ना होता.
बहुत देर तक हम साथ चले
नंगे पांव जब तक साँझ ढले
खौफ निगाहे तो मार ही डालती
गर उम्मीदों ने हमें पुकारा ना होता (२)
आँखों में ये सागर गहरा ना होता,
तो आंसू भी कभी खारा ना होता.
हर गुनाह को सर आँखों पे रख लिए ,
लील ही जाता मुझको ये भंवर सुहाना,
गर जिंदगी का बुलंद सितारा ना होता(३)
आँखों में ये सागर गहरा ना होता,
तो आंसू भी कभी खारा ना होता.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
इंजीनियर प्रदीप कुमार साहनी अभी कुछ दिनों के लिए व्यस्त है। इसलिए आज मेरी पसंद के लिंकों में आपका लिंक भी चर्चा मंच पर सम्मिलित किया जा रहा है और आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (03-04-2013) के “शून्य में संसार है” (चर्चा मंच-1203) पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर..!
ReplyDeleteआंखों में ये सागर गहरा न होता
तो आंसू भी कभी खारा न होता
बहुत खूब
बहुत खूब...
ReplyDelete~सादर!!!
Sabhi Mitro ka utsahvardhan ke liye dhanyavad.
ReplyDeleteRamkishore Upadhyay
आंखों में ये सागर गहरा न होता
ReplyDeleteतो आंसू भी कभी खारा न होता- bahut sundar
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कुछ गीत गुनगुनाये,कुछ शिकवे किये,
ReplyDeleteहर गुनाह को सर आँखों पे रख लिए ,
लील ही जाता मुझको ये भंवर सुहाना,
गर जिंदगी का बुलंद सितारा ना होता
आँखों में ये सागर गहरा ना होता,
तो आंसू भी कभी खारा ना होता.
बेहद सुन्दर भावात्मक अभिव्यक्ति