Tuesday, 30 April 2013

प्रार्थना
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 मै तो बनकर रहू जाऊ,,तेरा दास
पाऊ स्थान नित   चरणों के पास

है आत्मा प्यासी जनम -जनम की
काटू कैसे मै जनम मरण की फांस

देखू मै नित तुझे ,बुहारी तेरी राह
देता आनंद तू रखता नहीं उदास     

तू ही हरि विष्णु,कभी हर नाम धरे
कभी क्षीर सागर बसे कभी कैलाश 

नहीं जानता योग,न भक्ति का ज्ञान
कण कण में मै तो जानू तेरा रास 

लगी बस एक ही टेर,जीवन हो धन्य
द्वार खुला है विराजो मेरे घनश्याम

कभी राम कहूँ  मैं कभी पुकारू श्याम
आ ही जाओगे घट में,है मुझेविश्वास 

अमरता नहीं,बस रहे तेरा ध्यान
अंतिम क्षण में आँखों में तेरा वास 

रामकिशोर उपाध्याय 

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