Monday, 1 April 2013

हर छोटी ख़ुशी को लगाओ गले !




हर छोटी ख़ुशी को लगाओ गले !

मुट्ठी में  रेत की तरह वक़्त फिसल जायेगा,
नहीं कल था और होगा,गर आज संभाला न जायेगा,

सूरज की रोशनी को लपकने को बेताब है चाँद,
आज दिया न जलाया तो एक तारा भी ना टिमटिमायेगा,

नींद में खो जाएगी जवानी और वो हसीं पल भी,
गर ना संजोया इन्हें पलकों में तो ख्याल में भी ना आयेगा ,

हर अमल पर कायम है तेरा मुस्तकबिल ,
गुमराह हो गए  तो वो अज़ीम मुकाम ख्याब में भी ना आवेगा,

हर ख़ुशी मुनस्सर है तेरे जूनून की बुलंदी पे,
वक़्त की पाबंदी हो तो कामयाबी का लम्हा कभी ना जायेगा,

पूरी हो हर तमन्ना, ये हर किसी को मयस्सर कहाँ,
हर छोटी ख़ुशी को लगाओ गले तो रंज पास से भी ना गुजरेगा .

राम किशोर उपाध्याय
02.04.2013

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