Saturday, 13 May 2017

है अभी उम्मीद बाकी
कट रहे हैं शीश
देवता फिर भी दे रहे नित नया आशीष
उनकी तलवार में है धार
मगर हम हैं सर्जन की नौका में सवार
दे भले कोई हमें कितनी भी गाली
पर बच्चा-बच्चा है इस उपवन का माली
हैं शांत सभी विषधर,बढ़ गई सृष्टि में हिकारत
पर इतना भी खराब हो नहीं सकता मेरा भारत ........................
है  अभी उम्मीद बाकी .......... !!!!!!!!!!!
अभी बहुत कुछ हैं नंगे बदन
प्रगति के पथ पर बढ़ रही तपन
होनी जहाँ चाहिए दराती
वहां से आवाज बंदूक की आती
कारखानों की आग उगलती चिमनियाँ
स्वप्न में बढती रहती हैं नित्य चहलकदमियाँ
जीवन से जीवन के संघर्ष में आत्मा की हो रही तिजारत
पर इतना भी खराब हो नहीं सकता मेरा भारत ............
है अभी उम्मीद बाकी .......... !!!!!!!!!!!
अभी है भोर में उजाला
खेत में उग रहा सबका निवाला
हैं संग में तोप और फरसे
चल गये तो अरि जल को भी तरसे
और खुद पर है यकीं,हम कौम हैं जिंदा
धरा को छोडकर यहाँ उड़ता गगन में हर निर्बल परिंदा
बस उसे राम या रहीम से बुलाना
मगर उसे उसका धर्म और मजहब में भेद न सिखलाना
देखना हम एक दिन कुरु के क्षेत्र में फिर रचेंगे महाभारत
नहीं फिरकहूँगा कि ख़राब हो सकता है मेरा भारत
है अभी उम्मीद बाकी .......... !!!!!!!!!!!
* रामकिशोर उपाध्याय
















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