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परिचय पवन का ....
उड़ते सूखे पत्ते और गुजरती आँधियां
खुशबू का अस्तित्व.....
उपवन के मध्य में अलौकिक अनुभूति
स्पर्श का प्रभाव .....
किसी पुष्प से हाथ मिला लेना
इतने अनभिज्ञ तो नहीं हैं आप !
फिर क्यों जानना चाहते हो मेरी पहचान
वही हाड-मांस का मिटटी का एक पुतला -इन्सान
धूप में जलता श्रमिक,
अपने लक्ष्य की यात्रा पर पथिक
समय से सीखता प्रशिक्षु
बुद्ध की तरह ज्ञान - भिक्षु
और व्यथित चितेरा.....
जीवन के रंगों का जिन्हें लेखनी से बिखेरा
क्या किसी से करते हो प्रेम ?
कभी किसी कीे मीची हैं ऑंखें ?
क्या झाँक कर देखा है किसी का मन ?
यदि हां ..............तो
वो अंतर्मन में महकती सुगंध
वो स्वेद की गंध
और स्निग्ध स्पर्श का अनुभव
वही सूक्ष्म,जितना स्थूल ..
जितना अधिक बद्ध ,,उससे अधिक मुक्त
‘मैं’ ही तो हूँ ......
हां ,मैं ही तो हूँ ........................
तुम्हारा अपना .........
*
रामकिशोर उपाध्याय
Wednesday, 10 May 2017
परिचय
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