हैं वहीँ मौजे ,वहीँ सागर,
और वहीँ किनारा
जहाँ हमने था कश्ती को उतारा
तुम मंजिल को पा गये,
मगर
हमने तो जीवन लहरों पर गुजारा
*
Ramkishore Upadhyay
और वहीँ किनारा
जहाँ हमने था कश्ती को उतारा
तुम मंजिल को पा गये,
मगर
हमने तो जीवन लहरों पर गुजारा
*
Ramkishore Upadhyay
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