Tuesday, 9 May 2017

सागर वहीँ

हैं वहीँ मौजे ,वहीँ सागर, 
और वहीँ किनारा 
जहाँ हमने था कश्ती को उतारा 
तुम मंजिल को पा गये,
मगर 
हमने तो जीवन लहरों पर गुजारा
*
Ramkishore Upadhyay

No comments:

Post a Comment