Thursday, 19 December 2013

तितली और अलि 
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कुछ 
लोग सोचते हैं 
कि खिलते पुष्प 
देख कर उपवन में
आती हैं तितलियां
कुछ पराग चुनने
कुछ उनमे छिप जाने को
और
अलि भी
मकरंद का रसास्वादन के लिए ही
पुष्पों पर मंडराते हैं
शायद यह सत्य नहीं हैं ......
तितली न हो
तो परागण कैसे होगा
फिर नए पुष्प कैसे खिलेंगे
और प्रकृति का श्रृंगार
कैसे होगा
पुष्प में
आकर्षण कौन जगायेगा
फिर
क्यों पूछते हैं लोग
एक असहज प्रश्न
कि उपवन में आते ही क्यों हैं
अलि ...............
मैं
परन्तु
न तितली हूँ
न अलि हूँ

रामकिशोर उपाध्याय

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