Wednesday, 6 December 2017

आओ झोले से कुछ ख्वाब निकाले


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आओ झोले से
कुछ ख्वाब निकाले
चलो फिर दुखिया की ओर
कुछ मुस्कान उछाले
साँझ से पहले
बचाले दीप के उजाले
धूप की डिबिया में
रात का सारा  काजल छिपा ले
आओ झोले से
कुछ ख्वाब निकाले ..............
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रामकिशोर उपाध्याय

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