जब उसे नींद नहीँ आई
धरती की नहीँ
रोटी की गोलाई नज़र आई
सिविल लाइन की नहीँ
खुद की आँख में पड़ी कीचड़ छुड़ाई
कल के ख्वाब नही
फाइव स्टार होटल के कचरे से खाली बोतलें चुराई
दस बार वो क्या बदलता
फटने के डर से बदन से मैली-कुचैली कमीज़ भी न हटाई
जब उसे नींद नही आई.......
कौन था वो ????
*
रामकिशोर उपाध्याय
धरती की नहीँ
रोटी की गोलाई नज़र आई
सिविल लाइन की नहीँ
खुद की आँख में पड़ी कीचड़ छुड़ाई
कल के ख्वाब नही
फाइव स्टार होटल के कचरे से खाली बोतलें चुराई
दस बार वो क्या बदलता
फटने के डर से बदन से मैली-कुचैली कमीज़ भी न हटाई
जब उसे नींद नही आई.......
कौन था वो ????
*
रामकिशोर उपाध्याय
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