Saturday, 19 January 2013

भारत का सिपाही




एक था बेटा 
लाडला था गाँव का 
बना सैनिक 

उठा बन्दूक 
सीमा पे डट गया 
वतन रक्षा 

देखता अरि 
निकाल लेता ऑंखें 
बढाता  मान

बुरी नज़र 
खा गयी थी उसको 
क्षत मस्तक 

नहीं झुकाया 
भाल देश माँ का 
देकर शीश 

निढाल माँ के 
पूछते नहीं है आंसू
बच्चे उदास 

सूनी है  आंखे
नवविवाहिता की 
अधर शांत  

देता सम्मान 
वीरोचित सभी को 
नहीं दुराव     

नहीं भूलता 
बलिदान वीरो का 
मेरा भारत 

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