अँधेरा ही अँधेरा चारो तरफ,
गहरी लम्बी सुरंग के जाना हैं उसपार
उजाले तो तुमने छीन ही लिए हैं,
आशाओं के दीप तो जला लूँ,
तुम मुझे बस थोड़ी सी रौशनी दे दो.
खत्म न होने वाला ये कैसा सफ़र हैं,
लोग चलते साथ,पर हमसफ़र नहीं बनते,
'आई लव यू ' ने चैन छीन ही लिया हैं ,
अब मंजिल की तरफ कदम बढ़ा ही लूँ,
तुम मुझे बस थोड़ी सी रवानी दे दो.
कैसा है यह प्रेम,लुट जाने को मन करता हैं,
ख्वाहिशों है क़ि मरती ही नहीं ,
हर दिन जवान होती ही जाती है,
छोटी सी किश्ती से सागर पार जाना चाहता हूँ,
तुम मुझे बस थोड़ी सी जवानी दे दो.
घूमते वक्त के पहियों से बंधा 'मैं',
मन की पीड़ा सहेजता चला जा रहा हूँ,
प्रेम को तो पथ में ही लूट लिया है,
थोड़ी सी मन की जिंदगी जी लूं,
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