Tuesday, 1 November 2011

'कौन हो तुम '



दूत -
खुशहाली के 
पर बाणों को  
झेलने से पहले ही लहूलुहान हो उठे हो तुम.

मसीहा-
मानवता के 
पर सलीब को
खुद के काँधे पर ढ़ोने से घबरा उठे तुम .

सिपहसलार -
वतन और कौम की रहनुमाई करने  वाले 
पर खुद को 
जिबह करने से कतरा उठे हो तुम.

सिर्फ शोर हो तुम-
जो हमारी गफलतो से पैदा हुआ.
या फिर महज एक सन्नाटा-
जो हमारी खामोशियों से गहराया.

अँधेरे में साये की तरह 
कौन हो तुम?
कौन हो तुम?
 

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