मैं जब उठता हूँ
ज़मीन पर पहले बायां पाँव धरता हूँ
यह हमारे ग्रंथों में लिखा है
मैं नहीं धरता
वे मुझपर वामपंथी होने का इल्ज़ाम चस्पा कर देते हैं
मैं बस चुप रह जाता हूँ
क्या कहूँ उन्हें ?
मेरी देह में दायां पाँव नहीं है
क्या वे मुझे एक अदद दायाँ पाँव देंगें ?
घर से बाहर निकलता हूँ
वो कहते हैं पहले दायीं ओर मुडो
ऐसा करने से सफलता मिलती है
मैं नहीं मुड पाता
मैं फिर भी चुप रह जाता हूँ
क्या कहूँ उन्हें ?
मेरी दुकान का रास्ता बाईं ओर होकर ही जाता है
क्या वे मुझे मेरे दाईं ओर के जंगल में
एक व्यापारिक केंद्र बनाकर देंगे ?
मैं तो चाँद की बस्ती में
एक फ़्लैट लेना चाहता हूँ
और वे ख़ुद महलों में रहकर
मुझे झौपड़ी में
रहने की उपयोगिता समझा रहे हैं
हो सकता है
वे ठीक भी हो, मान लेता हूँ
थोड़ी देर के लिए ही सही
मगर मैं जानना चाहता हूँ
कि वे मेरी ज़िंदगी को
मेरी मर्ज़ी के बिना क्यों बदलना चाहते हैं ?
किसी भामाशाह को मेरा पूरा मोहल्ला बेचकर
वे चाँद की बस्ती में मुझे एक फ़्लैट दिलवा देंगें
मेरा जंगल कटवाकर
दायीं ओर बाज़ार बनवा देंगें
और चलने को एक नक़ली पैर भी लगवा देंगें
ताकि मैं अतीत में लौट जाऊँ
अपना एक वोट देके
क्योंकि मेरा अतीत में लौट जाना ही
उनके स्वर्णिम भविष्य की गारंटी है
एक आकाशवाणी हुई
*
रामकिशोर उपाध्याय
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