पवन ले उड़ा
परिंदों के कलरव
और गंगा की लहरों से उठता
संगीत .....
और
मंदिर की घण्टियों से निकल
किसी के अधरों पर जा उभरा
गीत .....
रश्मिरथी !!
तुम भी अब प्राची से
पुष्पगुच्छ लेकर चल पड़े होंगे
इस विश्वास से
कि संध्या तक मिलेगा
मीत ,,,
तपूंगा मैं भी
इस जग धूणे में
लेकर मन में ऐसी ही प्रीत ,,,,।
*
रामकिशोर उपाध्याय
परिंदों के कलरव
और गंगा की लहरों से उठता
संगीत .....
और
मंदिर की घण्टियों से निकल
किसी के अधरों पर जा उभरा
गीत .....
रश्मिरथी !!
तुम भी अब प्राची से
पुष्पगुच्छ लेकर चल पड़े होंगे
इस विश्वास से
कि संध्या तक मिलेगा
मीत ,,,
तपूंगा मैं भी
इस जग धूणे में
लेकर मन में ऐसी ही प्रीत ,,,,।
*
रामकिशोर उपाध्याय
No comments:
Post a Comment