Tuesday, 2 February 2016

मौन















मौन 
सदा स्वीकृति सा शोर नही करता 
उत्सव का शोर 
अक्सर अंतर में व्यथित होकर चुप हो जाता 
बादल 
सदा पानी सा गीला नही होता 
और पानी 
कभी रेत सा रीता हो जाता 
फिर क्यों 
बादल सा रेतीला 
और रेत सा पनीला 
होकर क्या कहना चाहता है 
उत्सव के शोर में मेरा मौन 
क्या तुम्हे कुछ मालूम है 
नहीं तो ..............................
उगी नागफनी से पूछ लेते है 
,,,,,,
*
रामकिशोर उपाध्याय

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