लक्ष्य से पहले
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चक्र
समय का चलता है
शाश्वत है ...
दक्षिणमुखी गति में
अनंत कष्टकारी होता है .....
परन्तु कहते हैं
मनुज
मंदिर की परिक्रमा
अगर दक्षिणमुखी करे
तभी वांछित फल मिलता है .....फल और गति
पल और मति
और
बल और युति में भी एक शाश्वत सम्बन्ध है ....
जैसे मनुज के पाँव होना
चलने के लिए
कर्म-पथ पर
न कि थककर रुकने के लिए ............
लक्ष्य से पहले ..|
***
रामकिशोर उपाध्याय
समय का चलता है
शाश्वत है ...
दक्षिणमुखी गति में
अनंत कष्टकारी होता है .....
परन्तु कहते हैं
मनुज
मंदिर की परिक्रमा
अगर दक्षिणमुखी करे
तभी वांछित फल मिलता है .....फल और गति
पल और मति
और
बल और युति में भी एक शाश्वत सम्बन्ध है ....
जैसे मनुज के पाँव होना
चलने के लिए
कर्म-पथ पर
न कि थककर रुकने के लिए ............
लक्ष्य से पहले ..|
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रामकिशोर उपाध्याय
बहुत सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteआ. कैलाश शर्मा जी सराहना के लिए ह्रदय से आभार
Deleteआ. रूपचन्द्र शास्त्री जी धन्यवाद और स्नेह बनाये रखे ..नमन
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteरश्मि शर्मा जी सराहना के लिये हृदय से आभार
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