Monday, 27 February 2017

अंतर में निरंतर

*
सड़क की धूल से
मुझे एलर्जी है
कार से धुआँ उडाना
मेरी मर्जी है
तुम्हारे जुल्म पर आवाज़ उठाना
मेरा धर्म है
मगर मेरे विरुद्ध बोलना
सरासर जुर्म है
मैं तो झूठ के
नक्कारखाने की
गूँगी तूती हूँ...निरुत्तर
बजती भी रहती हूँ
मगर
अंतर में निरंतर 
*
रामकिशोर उपाध्याय

No comments:

Post a Comment