Tuesday, 20 September 2016

छोटा सा चाँद


छोटा सा चाँद हो 
एक लम्बी सी चंदनियाँ
तारों की बारात में 
रात हो दुल्हनियाँ 
हो झुमकें  परिजात के 
हवाओं की हो डोलियाँ
जुगनू के दीपक हो
झिंगुर की हो बोलियाँ
किरणों की मेखला
बादलों में हो बिजलियाँ
आओ सपनों से शब्द बुने
भावों से रंग चुने
कहाँ हो सजनियाँ
*
रामकिशोर उपाध्याय

4 comments:

  1. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 22/09/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  2. वाह! बहुत ही मीठी-सी प्रस्तुति है यह! बहुत बहुत बधाई आपको।

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