छोटा सा चाँद हो
एक लम्बी सी चंदनियाँ
तारों की बारात में
रात हो दुल्हनियाँ
हो झुमकें परिजात के
हवाओं की हो डोलियाँ
जुगनू के दीपक हो
झिंगुर की हो बोलियाँ
किरणों की मेखला
बादलों में हो बिजलियाँ
आओ सपनों से शब्द बुने
भावों से रंग चुने
कहाँ हो सजनियाँ
*
रामकिशोर उपाध्याय
जय मां हाटेशवरी...
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इस लिये आप की रचना...
दिनांक 22/09/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteवाह! बहुत ही मीठी-सी प्रस्तुति है यह! बहुत बहुत बधाई आपको।
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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