Thursday, 9 July 2015

आओ जग से प्रीत निभाये ....



गीत
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नफरत में डूबा जग सारा
दहशत की बहती है धारा
बिछड़ों को फिर मीत बनायें,
आओ जग से प्रीत निभाये |1
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पथ में कांटे लोग बिछाते,
बिन कारण के खूब सताते ,
अब इनकी ये रीत मिटायेे ,
आओ जग से प्रीत निभाये | 2
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मैं हिन्दू हूँ तू है मुल्ला ,
इक ही रब तो क्यों है हल्ला
मिलकर अब यह भीत गिराये
आओ जग से प्रीत निभाये | |3
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जग को देख उठे जब शंका,
घर-भेदी ढाये जब लंका,
रामराज्य सा द्वीप बनाये |
आओ जग से प्रीत निभाये |4
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प्रेमभाव से अनुप्राणित कर,
जातपात का भेद मिटाकर,
मिलजुलकर हम दीप जलाये ,
आओ जग से प्रीत निभाये |5
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रामकिशोर उपाध्याय

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