एक गीतिका
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नाम बड़े और दर्शन छोटे,व्याप्त यही परिभाषा,
ये दुनिया ऐसे ही चलती,,,बस तू देख तमाशा |
*
कागा हुए कोयल और घर में श्वान बने है शेर,
कभी युद्ध मध्य कायर बोले है वीरोचित भाषा|
*
कल जो सच था आज वही है झूंठ जगत में,
वासना करे शांत अब तो धर्म की जिज्ञासा |
*
कुत्ता खाए मालपुआ और आदमी सोये भूखा,
अमीर चखे सत्तामृत और गरीब सहे हताशा |
*
ज्ञानी भये अज्ञानी और अज्ञानी बने है विज्ञानी,
चाटुकार करे रोज सिंहासन की तीव्र अभिलाषा
**
रामकिशोर उपाध्याय
ये दुनिया ऐसे ही चलती,,,बस तू देख तमाशा |
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कागा हुए कोयल और घर में श्वान बने है शेर,
कभी युद्ध मध्य कायर बोले है वीरोचित भाषा|
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कल जो सच था आज वही है झूंठ जगत में,
वासना करे शांत अब तो धर्म की जिज्ञासा |
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कुत्ता खाए मालपुआ और आदमी सोये भूखा,
अमीर चखे सत्तामृत और गरीब सहे हताशा |
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ज्ञानी भये अज्ञानी और अज्ञानी बने है विज्ञानी,
चाटुकार करे रोज सिंहासन की तीव्र अभिलाषा
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रामकिशोर उपाध्याय
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteमैं
Happy Birth Day "Taaru "
आदरणीय कालीपद जी सराहना के लिए ह्रदय से आभार
Deleteआदरणीय आशीष जी सराहना के लिए ह्रदय से आभार
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