Tuesday, 8 October 2013

अतीत
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अतीत की स्मृतियाँ
एक वृद्ध का अनुपयोगी संदूक -
जिसे उसका बेटा बाहर फेंकना चाहता
और
पोता जिज्ञासावश सहेज कर रखना चाहता

स्मृतियों के पल
किसी बूढ़े पेड़ के फल ......
बस पूजा के लिए श्राद्ध में पितरो की
और प्रतीक्षा करते स्वयं के तर्पण का
साथ में जैसे काले तिल

अतीत
कभी -कभी
डस्ट बिन से उठाई गई
टूटी कप -प्लेट,चूड़ियाँ ,फूलदान सा ......
किसी शिल्पकार की कल्पना से
किसी उपवन में
नई नई आकृतियों के वर्तमान में चिपककर
प्रफुल्लित भी हो उठता हैं

अतीत
नवांकुर की शाख पर बैठा वृद्ध पक्षी
जो मीठे फल आने की प्रतीक्षा करता
और एक दिन
अंकुर की वृक्ष बनने की यात्रा के मध्य ही
हो जाता कालकवलित

अतीत
कभी मुक्त होता
कभी मुक्त करता
परन्तु रहता
सदैव समक्ष,प्रतीत।

रामकिशोर उपाध्याय
28.9.2013





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