Tuesday, 15 October 2013

[2]हरसिंगार
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ख़्वाब
कल रात आँगन में महके
हरसिंगार बनकर 
सुबह हो चुकी थी
फूल झर चुके थे
आँखों में नींद अभी बाकी थी
वो नहीं आये
हरसिंगार फिर महकेगा
आज की रात
उनकी खुली वेणी में बंधने को ...
और उनकी प्रतीक्षा में
मेरी आँखों में ..........

राम किशोर उपाध्याय
Like ·  · Unfollow Post ·  · Yesterday at 12:28 · Edited

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