Sunday 26 November 2017

यह तुम भी जानते हो ----------------------



यह तुम भी जानते हो 
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तुम्हारी दुआओं में कब
शामिल हुआ मेरा हिस्सा 
फकत तुम्हारी कालीन 
बनकर रह गया मेरा किस्सा 
जिसके नीचे खिसकाते रहे 
तुम मुझको हमेशा 
ये मेरा हौसला ही था 
जो वक्त की नमी पा 
बन गया बिरवा वट का 
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रामकिशोर उपाध्याय