Tuesday 16 December 2014

कुछ न कहना



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बादलों से
कुछ न कहों आजकल
धूप लील जाते है.....
मेरे हिस्से की
*
धूप से..............
और बस धूप से ही
कुछ न कुछ कहो आजकल
वो ही एक नर्म बिस्तर देती हैं
मेरे सपनों को
मेरी सफ़ेद चांदनी सी यादों को
जो रात को रख दी जाती है
सुनहरी चादर में लपेटकर
और करती है प्रतीक्षा
भोर होने तक ....
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रामकिशोर उपाध्याय

लक्ष्य से पहले

लक्ष्य से पहले
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चक्र
समय का चलता है
शाश्वत है ...
दक्षिणमुखी गति में
अनंत कष्टकारी होता है .....
परन्तु कहते हैं
मनुज
मंदिर की परिक्रमा
अगर दक्षिणमुखी करे
तभी वांछित फल मिलता है .....फल और गति
पल और मति
और
बल और युति में भी एक शाश्वत सम्बन्ध है ....
जैसे मनुज के पाँव होना
चलने के लिए
कर्म-पथ पर
न कि थककर रुकने के लिए ............
लक्ष्य से पहले ..|
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रामकिशोर उपाध्याय