बता ऐ गुलिस्तां !
---------------
एक मुक्तक .................
हवा से पूछा,धूप में ढूंढा,छान डाली पत्तों की धूल,
बता गुलिस्तां* कहाँ छिपा रखे हैं खुशियों के फूल.
मत इठला तू के आई बहार चली जायेगी एकदिन
ना आएंगे फिर भंवरें बचेंगे तो सिर्फ बबूल के शूल.
रामकिशोर उपाध्याय
---------------
एक मुक्तक .................
हवा से पूछा,धूप में ढूंढा,छान डाली पत्तों की धूल,
बता गुलिस्तां* कहाँ छिपा रखे हैं खुशियों के फूल.
मत इठला तू के आई बहार चली जायेगी एकदिन
ना आएंगे फिर भंवरें बचेंगे तो सिर्फ बबूल के शूल.
रामकिशोर उपाध्याय
No comments:
Post a Comment