Tuesday, 29 October 2013



शुभ रात्रि ,,मित्रो !
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के लो आज फिर वही जुर्म हम दोहरा ही देते  हैं,
ख़त उन्हें लिखकर अपने सरहाने रख ही लेते हैं.
उम्मीद हैं सुबह तक खवाबों में मिल ही जायेगा,
तबतक एक अच्छी सी नींद हम भी ले ही लेते हैं.
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रामकिशोर उपाध्याय 

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