Friday, 25 October 2013

















सूखते पेड़ 
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कुछ जम रहा
शिराओं में 
शिवालिक के हिम की तरह

कुछ मिट रहा हैं
संवेदना से
प्रेम के प्रतिकार की तरह

उड़ते पखेरू भी कह रहे हैं
उम्र अब हो गयी
सूखते पेड़ की तरह


रामकिशोर उपाध्याय
25.10.2013

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