वो जान मांगती मैं दे देता
सिसकती रातें कैसे दे देता
महकती सारी सांसे दे देता
गूंगे साज उन्हें कैसे दे देता
मिटा देता अपनी हस्ती को
इज्ज़त आबरू कैसे दे देता
एक इशारे पर हो जाते फ़ना
मुगालते में अना कैसे दे देता
इश्क और जंग में सब जायज़
ऐसे में घुटने कैसे टेकने देता
RAMKISHORE UPADHYAY
सिसकती रातें कैसे दे देता
महकती सारी सांसे दे देता
गूंगे साज उन्हें कैसे दे देता
मिटा देता अपनी हस्ती को
इज्ज़त आबरू कैसे दे देता
एक इशारे पर हो जाते फ़ना
मुगालते में अना कैसे दे देता
इश्क और जंग में सब जायज़
ऐसे में घुटने कैसे टेकने देता
RAMKISHORE UPADHYAY
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