Tuesday 2 July 2013

इश्क और जंग ++++++++





वो जान मांगती मैं दे देता
सिसकती रातें कैसे दे देता

महकती सारी सांसे दे देता
गूंगे साज उन्हें कैसे दे देता

मिटा देता अपनी हस्ती को
इज्ज़त आबरू कैसे दे देता

एक इशारे पर हो जाते फ़ना
मुगालते में अना कैसे दे देता

इश्क और जंग में सब जायज़
ऐसे में  घुटने कैसे टेकने देता

RAMKISHORE UPADHYAY

No comments:

Post a Comment